मुझे साहस माँ से मिला है और भावुकता पिता से

शैलेश लोढ़ा जी कहते हैं माँ एक ऐसा शब्द है जिस पर कविता नहीं लिखी जा सकती। पिता भी उसी श्रेणी में आते हैं, यह मुझे इस मेसेज को लिखते समय महसूस हुआ। मैं जहां भी जाती हूँ, लोग मुझे मेरे पापा के नाम से पहचानते हैं। लोगों को मुझमें उनकी छवि दिखाई पड़ती है।

हर ऑर्गेनाइज़ेशन में दो तरीक़े के लोग होते हैं, एक, जो काम केवल काम करने के लिए करते हैं, और दूसरे, जो काम बनाने के लिए, बेहतरी के लिए करते हैं। बात ये है कि पापा दूसरी केटेगरी में आते हैं। उन्हें अपने काम से प्रेम है। उन्हें काम करना बेहद पसंद है, अब वो चाहे ऑफिस संबंधी काम हो या मंदिर के निर्माण का, किसी को सलाह देनी हो या सोशल मीडिया पर अप-टू-डेट रहना। ज़ाहिर है वो व्यस्त रहते हैं, इतना कि उनके पास हमें लिए देने के लिए समय कम ही बचता है।

धीरे धीरे जैसे उम्र होती दिख रही है, हम बड़े हो रहे हैं, छोटे छोटे तरीक़ों से हम समय निकाल लिया करते हैं, अब भले वो पापा को ऑफिस से घर लाने का बहाना हो, या साथ बैठ थोड़ा न्यूज़ देख लेना, नाश्ता करने सुबह सुबह 7 किमी दूर जाना हो या दो पल छत पर उनके साथ टहल लेना।

पापा हमेशा से काफ़ी ऐक्टिव रहे हैं, उनका मानना है कि आपको सब कुछ आना चाहिए, अब वो छोटे से छोटा काम हो या बड़े से बड़ा- ऑफिस का काम हो या घर का। कौन मानेगा की मुझे रोटी बनाना मेरे पापा ने सिखाया? वे कहते हैं कि आप जो काम करो, मन से करो। यहाँ से आती है इच्छाशक्ति और जिज्ञासा। यह कहना सही है कि वो मेरे आदर्श हैं, और मैं उन्हीं से सीखती आयी हूँ। आज मैं जिस भी ऑर्गेनाइज़ेशन का पार्ट बनती हूँ, मेरी कोशिश होती है कि मैं उसे पहले से बेहतर बना पाऊँ।

माँ से अगर मुझे करुणा और सहानुभूति मिली है तो पिता से मिली है मुझे उत्सुकता, नेतृत्व कौशल और लर्नर्स एटीट्यूड। मैंने उनसे सीखा है कि आपके पास बदलाव लाने के अवसर हमेशा होते हैं, उसके लिए कोई विशिष्ट पद की आवश्यकता नहीं है। मज़ाक़ मज़ाक़ में ही सही, पापा अपनी तारीफ़ ख़ुद कर दिया करते हैं, और वही मैं भी करती हूँ। लोगों को अटपटा लग सकता है पर इसके पीछे का संदर्भ इतना ही है बस कि आप अपने चीयरलीडर बनें, दूसरे लोग जब तारीफ़ करेंगे तब करेंगे, आप अपने आप को तो रिकॉग्निज़ करें।

मुझे साहस माँ से मिला है और भावुकता पिता से। संतोष, विवेक, कुशलता, रचनात्मकता, उत्सुकता – इन सब का एक खूबसूरत ब्लेंड हैं मेरे पिता।

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