मैं जीवन जीने के काबिल हूँ या नहीं,
बस मुझे जीना सिखा दो |
अगर लौट के आ सकता है मेरा बचपन,
तो लौटा दो उसे मुझे,बिना किसी अनबन...

वरना इस दुनिया में...
न तो ज़मीर रहेगा जिंदा,
और न ही कबीर करेगा बुराई की निंदा,
चाहे बन जाये कितना भी बड़ा गरीब(अमीर)...
कभी दिल में फ़क़ीर न होगा जिंदा!

जब लौट आएगा वापस हमारा बचपन...
तो और भी खुबसूरत, और भी ऊचाँ,

मेरे देश का नाम हो जायेगा, हिन्दू-मुसलमान नही,
सिर्फ इंसान ही इंसान पुकारा जायेगा | 
चाहे कितनी बार ही क्यों न गिरो, 
हर बार एक नया मौका मिलता जायेगा, 
ऐसा नही की गलती करने की आदत पड़ जाएगी, 
पर गलती करके सही रास्ते की पहचान हो जायगी |

रिश्ते भूल सिर्फ निंदा और लालच जानते है अभी सब,
जब लौट आएगा वापस हमारा बचपन,
तो मासूमियत के अलावा कुछ न रह जाएगा तब!
जिंदगी शतरंज सी हो गयी है, इसे सूडोकु के समान बनाना चाहिए,
हर मौके पर फतह नहीं,सिर्फ सही रहना आना चाहिये...




 

6 Comments

  1. Very nice peom….i liked it very much ……..god bless u more n more to write beautiful poems for us…

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