मैं जीवन जीने के काबिल हूँ या नहीं, बस मुझे जीना सिखा दो | अगर लौट के आ सकता है मेरा बचपन, तो लौटा दो उसे मुझे,बिना किसी अनबन... वरना इस दुनिया में... न तो ज़मीर रहेगा जिंदा, और न ही कबीर करेगा बुराई की निंदा, चाहे बन जाये कितना भी बड़ा गरीब(अमीर)... कभी दिल में फ़क़ीर न होगा जिंदा! जब लौट आएगा वापस हमारा बचपन... तो और भी खुबसूरत, और भी ऊचाँ, मेरे देश का नाम हो जायेगा, हिन्दू-मुसलमान नही, सिर्फ इंसान ही इंसान पुकारा जायेगा | चाहे कितनी बार ही क्यों न गिरो, हर बार एक नया मौका मिलता जायेगा, ऐसा नही की गलती करने की आदत पड़ जाएगी, पर गलती करके सही रास्ते की पहचान हो जायगी | रिश्ते भूल सिर्फ निंदा और लालच जानते है अभी सब, जब लौट आएगा वापस हमारा बचपन, तो मासूमियत के अलावा कुछ न रह जाएगा तब! जिंदगी शतरंज सी हो गयी है, इसे सूडोकु के समान बनाना चाहिए, हर मौके पर फतह नहीं,सिर्फ सही रहना आना चाहिये...
Really very nice ….too deep and soul touching
http://rekha169.wordpress.com
Thank you so much!! Hope I’ll be able to write more like it!!
Surely u’ll 🙂
Very nice peom….i liked it very much ……..god bless u more n more to write beautiful poems for us…
Sure…thank for guiding!!
I just wanna add on that not all the poems are about rhyming… Rhyming is only a way to glorify it, not to define it.
Yes, I know .