हे चिरैया , है आशा की किरण

चिरैया, गौरैया, ना जाने तुम्हारे कितने नाम… फिर क्यों हैं लोग तुमसे और तुम्हारे घटते क्रम से अंजान? क्या हो गयी तुम इतनी बेसुध और अंजान, कि कोई न जाने तुम्हे, पशु और इंसान? क्या इंसानों में इतनी आत्मीयता भी नही बची, कि एक नज़र देख ले प्रकृति की ओर, बची है भी या नहीं? … Continue reading हे चिरैया , है आशा की किरण